Development is an Art

2 Oct 2007

तुफानी समंदर मे इक कश्ती हुई रवां
चराग साहिल के जब बुझा रही थी हवाँ
हम सब तो सोये थे आखें उसकी थी जवां
जब किनारे पे सब थे इक जिसके सिवाँ

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